Monday, March 14, 2011

लड़की...खूबसूरत लड़की...और दोस्त...वाह वाह वाह

सुनते हैं आजकल इ धंधा खूब जोरों पर है कि कौन किसका और किसकी दोस्त है? ये दुनिया को बताया जाए, ये कहते हुए कि किसी को मत बताना...वैसे, ऐसी ही बातें दुनिया को सबसे ज्यादा पता होती है...जिसे बताते हुए ये कहा जाता है कि सुनो किसी को मत बताना अंदर की बात है...सिर्फ हमको पता है...और अब तुमको बता रहे हैं...श्री श्री 1008 जी ने पहले श्री श्री 1008....जी को उकसाया...दुनिया को बताया कि ,देखो जी की खूबसूरत दोस्त को देखो...और जी कितना जान छिड़कते हैं ये भी देखो...अब जी दिखा रहे हैं जी को...देखो देखो....देखो कि उनके लिए करोड़ों रुपये कोई मायने नहीं रखता...इसी बीच एक और रसिक कूदते हैं....मजा लेते हुए...भाई आगे-आगे चलो हम भी पीछे हैं तुम्हारे....कहते हुए साब पूरे सीन में एंट्री करते हैं......अरे खुशकिस्मत है वो तो...खूबसूरत लड़की से दोस्ती है...क्या गलत है इसमें???
जैसे कि उनका तो जिह्वा लपड़ रहा हो ये कहने कि लिए कि भाई हमें देखो हमे भी दिखाओ....चलो मेला घुमाओ...और सीन से गायब हो जाते हैं...हम भी पीछे हैं तुम्हारे...कोई गलती नहीं है साहब जी कोई गलती नहीं है किसी की गलती नहीं है...प्रेम तो अंधा होता है...और अंधा कोई गलती करे भी तो उसे माफ करो यार...
लेकिन दिक्कत फिर कैसे होती है....आखिर राही मनवा को तकलीफ क्यों होने लगती है...फूल सी कोमलांगा दोस्त दुश्मन कैसे लगने लगती है? ये बात समझ में नहीं आती...अरे बेवकूफ...बगिया में एक ही फूल तो होता नहीं है...और हर फूल अगले फूल से सुंदर होता है....फिर एक ही फूल क्यों देखें भला....बगिया है किसके लिए फिर???.....लेकिन....
फूल कभी जब बन जाए अंगारे...

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