Wednesday, April 27, 2011

मां की जगह दोस्त बनकर समझें बेटियों को


 बेटी अब बड़ी हो रही है । पहले स्कूल जाती थी तो  होमवर्क पूरा कराने की चिन्ता सताती थी अब बड़ी हो रही है तो  दस तरह की बातें  दिमाग में घूमने लगी हैं । मां की चिन्ता तो खैर कभी खत्म ही नहीं होती लेकिन अगर आपकी बेटी किशोर अवस्था में कदम रख रही है तो  लाजमी है कि आप भी अपनी बेटी को लेकर सर्तक हो जाती हैं । उसे घर समय से आने के लिए कहती हैं, रात को मोबाइल पर ज्यादा देर तक बात करने से टोकती हैं, यह कहकर की तुम्हें नहीं पता जमाना बहुत खराब है । कोई बात आपकी बेटी आपको समझाना भी चाहे तो आप कहती हैं कि तुम ही हो बस समझदार इस घर में, हमने तो दुनिया देखी ही नहीं । फिर किसी बात में आप सही भी हों तो आपको `बच्चा´ करार कर दिया जाता है, वहीं अगर आप अपने मन से बाहर घूमने का प्लान  बना लें तो आपको एकदम बड़ा बता दिया जाता है । यह कहकर कि इतनी बड़ी हो गई अब तक समझ नहीं आई । 


मनोचिकित्सक कहते हैं कि इस अवस्था को समझना बहुत जरूरी है । ऐसे में मां का रोल सबसे महत्वपूर्ण होता है । अपनी बेटी के मन में उठ रहीं तमाम तरह की जिज्ञासाओं को मां ही शान्त कर सकती है । यह एक ऐसी अवस्था होती है जब बेटी की दुनिया बड़ी होने लगती है । ऐसी बहुत सी बातें उसके दिल में चलती रहती हैं जिसे बस वह मन ही मन सोचती रह जाती है । ऐसे में मां को चाहिए कि वह मां न बनकर उसकी दोस्त बने । एक ऐसी दोस्त जिससे वह बेझिझक अपनी सारी बातें कहें । कई बार ऐसा भी होता है जब बेटी को कुछ सवाल पूछने में अपनी मां से शर्म आती है या फिर कई बातें वह मां से छुपाती है । बजाए रोक-टाक के इन बातों को समझने की कोशिश करें ।
मां से अधिक सहेली बनने की कोशिश करें
आपकी बेटी के लिए यह उम्र सपनों की दुनिया के समान होती है । सपनों के लगे पंख उसे एक ऐसी दुनिया दिखाने लगते हैं जो हकीकत से परे है । सभी रिश्ते उसे अपने लगने लगते हैं । अब आपके लिए उसे हकीकत की दुनिया को दिखाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है । टोका-टोकी की बजाए ऐसे में उसकी सहेली बनकर अगर आप समझाएंगी तो आपकी राहें आसान हो जाएंगी ।
उम्र के साथ बढ़ता है दोस्‍ती का दायरा
ऐसा कई बार होता है कि मां को अपने बेटी की संगत से परेशानी हो जाती है । लाजमी है कि बेटी कॉलेज जाएगी तो दोस्त भी बनेगें उसमें कुछ लड़कियां होंगी तो लड़के भी होंगे । अब दिक्कत तब आती है जब मां बेटी को कुछ दोस्तों से दूरी बनाए रखने को कहे । तब नई पीढ़ी को लगता है कि वह सही । मम्मी को यह बात कैसे समझाए । ऐसे में आपको चाहिए कि आप थोड़ी तसल्ली से अपनी बेटी की बात भी सुनकर देखें । हो सकता है कि कुछ बातों में वह भी सही हो और अगर कुछ बातों में आप सही हैं तो उसके साथ प्यार से बैठकर उस बात को बताएं, बजाए कि उस पर वह बात थोपी जाए ।
विश्वास भरे रिश्‍ते
किसी भी मां के लिए यह सबसे जरूरी होता है कि वह अपनी बेटी पर पूरा विश्वास करे । जब तक आप ही अपनी बेटी पर विश्वास नहीं करेंगी तो आप कैसे यह मान लेंगी कि वह सही राह पर चल रही है । ऐसे में नाइट आउट या फिर  किसी पार्टी के लिए हमेशा ही मां-बेटी के बीच तकरार चलती है । मां ऐसी पार्टियों में जाने से टोकती है वहीं बेटी को बात बुरी लग जाती है । बेटी को लगता है कि मां उस पर विश्वास नहीं करतीं, तभी तो उसे ऐसा कह रही है । ऐसे में मां को चाहिए कि उसे सही तरह से बताएं कि उसके लिए क्या सही है और अगर वह ऐसा कर भी रही है तो क्यों । मां को चाहिए कि वह जेनरेशन गैप को समझते हुए अपनी बात रखें 

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